सोमवार, 14 अक्तूबर 2019

नफ़रत   का  दरिया बहने दे तू  सुख़नवरी कर
सच्ची कलम से  संस्कारों  की फसल खड़ी कर

दिल की ज़मीन पर एहसासों के गंगा जल से 
लोगों के छोटे छोटे दुख लिख कलम बड़ी कर 

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