Nirmal Ras Fuhar - Ghazal aur Kavitayen

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शनिवार, 9 अप्रैल 2011

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  • (शीर्षकहीन)
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  • बाबूजी....Nazm
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  • (शीर्षकहीन)
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  • (शीर्षकहीन)
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  • (शीर्षकहीन)
    आप तो ऐसे न थे ,धन पाकर कैसे हो गए  मिट्टी की काया में दिल अब ,पत्थर कैसे हो गए  एक चेहरा था सभी का ,निर्मलता का भाव था  चेहरों पे चेहरे लगा...

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