सोमवार, 27 दिसंबर 2021

अपनी आँखों को कभी तो भिगोइए 
संवेदना को अपने दिल मे पिरोइए 
आंसुओं से भी हो सकता है आचमन 
किसी का दर्द दिखे तो ज़रूर रोइए 

बेटों का तो उनकी शादी तक ही खुशनुमा साथ था 
बेटी का तो ज़िंदगी भर काँधे  पे  हाथ था 
विवश होकर स्वाभिमान का चोला मै धर  गया 
अंतिम वक़्त काटने बेटी के घर गया 
उस पर भी मेरे पुत्र मोह का आलम  तो देखिए 
बेटों के नाम सारी वसीयत मै कर गया 



जब ज़िंदगी खड़ी थी सामने ,तब हँसते नहीं बना 
अब मौत खड़ी  है सामने तो रो रहे हैं  आप