शनिवार, 19 नवंबर 2022

मुश्किलों से कह दो कि हमें न आज़माइये 
मिटने का है शौक़ तो ,हमारे पास आइये 

हम भी सो ही जाएंगे ,हक़ीक़तों को भूलकर 
धर्म की ध्वजा तले ,कहानियाँ सुनाइए 


कुछ न दुनिया में  तुम्हारा था कभी 
कुछ न दुनिया में  हमारा  था कभी 

अब मेरे दिल के फ़लक से टूट गया 
जो मेरी आँखों का तारा था कभी 

बैठ कर खा लेती पुश्तें आपकी 
इतनी दौलत को नकारा था कभी 

चश्मा दौलत का पहनने के लिए 
सच को आँखों से उतारा था कभी 

वो सरलता याद आती है जिसे 
दुनियावी बाज़ी में हारा था कभी 



रविवार, 16 अक्तूबर 2022

आप तो ऐसे न थे ,धन पाकर कैसे हो गए 
मिट्टी की काया में दिल अब ,पत्थर कैसे हो गए 

एक चेहरा था सभी का ,निर्मलता का भाव था 
चेहरों पे चेहरे लगा कर ,जोकर कैसे हो गए 

संस्कारों की छैनी ने शंकर रूप में ढाला था 
कलयुगी धारा में बह कर ,कंकर कैसे हो गए 

हम सभी में रक्त है ,नानक राम और बुद्ध का 
हम सभी गिरधर के वंशज ,विषधर कैसे हो गए 

इस तरह बदलेंगे ख़ुद  को,दुश्मन भी कहने लगे 
छोटे से तालाब थे ये तो,सागर कैसे हो गए 


रविवार, 2 अक्तूबर 2022

मुश्क़िलों के पर्वत सब धूल हो जाएँ 
उम्मीदों की कलियाँ,सब फूल हो जाएँ 
हर तरह की मुश्किल, ठोकर से चूर हो 
सारे रस्ते,क़दमों के अनुकूल हो जाएँ 
मौत सुन निडर होकर,तेरे द्वार आये हम 
कर्ज़ मातृभूमि का था ,उतारआये हम 
ए वतन तेरी पावन रज को माथे पर धरकर 
चंद लम्हों में कई सदियाँ गुज़ार आये हम 
इतनी तवील ज़िन्दगी को ,छोटा  कहते हो 
इस बेमुराद चीज़ को तुम सपना कहते हो 
हमको तो ये कठोरतम सच्चाई  लगती है 
तुम किस बिना पे इसको मियाँ ,धोखा कहते हो 

अदबी शायर हमें सुनने को मिलते हैं 
 क़ीमती मोती भी चुनने को मिलते हैं 
 ज़िन्दगी यूँ ही बनती नहीं रेशमी 
 सारे रेशम यहाँ बुनने को मिलते हैं 


किस्से कहानियों सी भला ज़िन्दगी कहाँ 
जितनी सुनाई जाती है ,उतनी भली कहाँ 
कितना हसीं था रास्ता ,मंज़िल  के सामने 
मंज़िल को छोड़,चल पड़े ,राहों को थामने 


ग़ैर दुनिया ने तुम्हे जाना था 
हमने तो तुमको सगा माना था 

तुमको आवाज़ कहाँ तक देते 
अपने मन से ही चले आना था 

तुमको मुर्दा न कहें,तो क्या कहें 
ख़ून आँखों में उतर आना था 

तुमको ओझल होने तक देखा मैंने 
तुमको  इक बार पलट जाना था 

सिर्फ़ अच्छा होना ही काफ़ी नहीं 
आपको  अच्छा नज़र आना था 

बुधवार, 21 सितंबर 2022

शुक्रवार, 19 अगस्त 2022

                                                                              भजन 
श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी ,हे नाथ नारायण वासुदेवा 

इक आँख में छवि मोहन की  प्यारी 
दूजन मे देखो , राधा दुलारी 

ह्रदय   के कणकण में कुंज बिहारी 
ह्रदय  की धड़कन में राधा दुलारी 

मन की गलिन में जो आये बिहारी 
दूर हुई  सब विपदा हमारी 

आगे बढ़ाओ  चरण मुरारी 
आया ये बालक ,शरण तिहारी 

श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी ,हे नाथ नारायण वासुदेवा