मंगलवार, 15 सितंबर 2020

ज़िन्दगी के गुल्लक में एहसासों का सरमाया 
बाक़ी कुछ न बचा सका मैं,बस यही मैं रख पाया

एहसासों को बोता हू़ँ तो ग़ज़ल निकलती है
दर्दे दिल की हमदम है और यही है हमसाया

पीछा करना छोड़ो तुम,लोगों के विचारों का
बैसाखी पे चल कर के,किसने क्या यहां पाया

किसकी रोटी किस्मत की आंच पर सिकी साहब
तूने ख़ुद को रोका है,खुद को तूने भरमाया
सरमाया- पूंजी
दर्द किसी का लिया नहीं है,प्यार किसी से हुआ नहीं है
गीत ग़ज़ल तुम क्या लिखोगे,अंतर्मन को छुआ नहीं है

सोमवार, 9 मार्च 2020

मैं तो खेलूँगी होरी  पिया संग सखी री 
मैं तो पी लूंगी सारी पिया भंग सखी री 

मन कहाँ भागे पकड़ में न आये 
आस मिलन की रंगती  जाए 
जिया में हो रई हुड़दंग सखी री 

मैं तो खेलूँगी....
मैं तो पी लूँगी.... 

पीला  रंग डालूं के नीला रंग डालूँ 
मल मल गुलाल ओके रंगीला बना लूँ 
हैं तो होंगे कहीं के दबंग सखी री 

मैं तो खेलूँगी....
मैं तो पी लूँगी...

वो जब मारेंगे ओ  चम्पा सुन री 
भर पिचकारी हटा मोरी चुनरी 
सबे  गाँव रह जायेगो दंग सखी री 

मैं तो खेलूँगी....
मैं तो पी लूँगी..

तन मन रंग लिया प्रीत में वाकी 
ये संदेसवा पहुंचा दे रे पाखी 
कोई रंग चढ़े न इस रंग सखी री 

मैं तो खेलूँगी....
मैं तो पी लूँगी.




पूजन अधूरा  रह जाए गर चन्दन के  संग रोली न हो 
जीवन में रंग दिखेंगे नहीं यदि मन की आँख खोली न हो 
सूना सा जीवन हो जाए यदि जीवन में हमजोली न हो 
वो  होली कोई  होली नहीं ,जिसमे कवि की ठिठोली न हो 

शनिवार, 15 फ़रवरी 2020

कर रहे हो तुम मोहब्बत,कितनी फुर्सत से मियाँ 
तुमको मिलती क्यों नहीं, फुर्सत मोहब्बत से मियाँ 

इक दफा देखो मुहब्बत से हिक़ारत की तरफ़ 
बाज़ आते क्यों नहीं हो अपनी आदत से मियाँ 

अंध आलोचक नहीं हूँ,अंध प्रशंशक भी नहीं 
मैं परखता हूँ हवा को अपनी ताक़त से मियाँ 

तुम चिरागे इल्म हो तुम बस उजाले बांटना 
देखती हैं तुमको नस्लें कितनी हसरत से मियाँ 

सिर्फ कमियां ही दिखाई देती है तुमको अगर 
अल्पज्ञानी हो या हो खुदगर्ज़ आदत से मियाँ 

चाँद ग़ज़लों के सिवा हमने दिया क्या है मगर 
लोग लेते हैं हमारा नाम इज़्ज़त से मियाँ