गुरुवार, 5 अक्तूबर 2023

रस्तों के साथ में ,न मंज़िल के साथ में 
धारों के साथ में, न साहिल के साथ में 
हमको है मंज़ूर, बस दिल की रहबरी 
हम तो खड़े रहते हैं, दिल के साथ में 


बुधवार, 4 अक्तूबर 2023

बुज़दिल के साथ में न क़ातिल के साथ में 
हम खड़ें हैं अशफ़ाक़ ओ बिस्मिल के साथ में 
राह ए वतन पर  लुटा देंगे जान भी 
जीना पड़े चाहे मुश्क़िल  के साथ में। 


ज़िन्दगी तो बस चिता तक  साथ देगी 
बाद इसके मौत अपना हाथ देगी 
जिस तरह से हमने काटा है सफ़र ये 
मौत भी इस ज़ीस्त प खुल के दाद देगी