चट से पड़ें गाल पर , झट से फिरें बाल पर
बाबूजी वो आपकी उँगलियाँ कमाल थी।
...
रोते हुए हँसे थे , हँसते हुए चले थे,
बाबूजी वो आपकी सूक्तियाँ कमाल थी।
बेफिक्र होके भागते निडर थे वह रास्ते,
बाबूजी के बांह की , मछलियाँ कमाल थी।
तम जब घूरता था,बस उन्ही को ढूँढता था,
बाबूजी के व्यक्तित्व की बिजलियाँ कमाल थी।
बातों में इक कशिश थी सच की सब तपिश थी ,
छाई तो रही सदा, पर बरसी यदा कदा ,
बाबूजी के नेह की , बदलियाँ कमाल थी.
बाबूजी वो आपकी उँगलियाँ कमाल थी।
...
रोते हुए हँसे थे , हँसते हुए चले थे,
बाबूजी वो आपकी सूक्तियाँ कमाल थी।
बेफिक्र होके भागते निडर थे वह रास्ते,
बाबूजी के बांह की , मछलियाँ कमाल थी।
तम जब घूरता था,बस उन्ही को ढूँढता था,
बाबूजी के व्यक्तित्व की बिजलियाँ कमाल थी।
बातों में इक कशिश थी सच की सब तपिश थी ,
बाबूजी के चरित्र की , गर्मियां कमाल थीं।
वर्जनाऐं तोड़ती थी रिश्तों को जोड़ती थी,
बाबूजी वो आपकी चिट्ठियाँ कमाल थीं।
वो जब भी डांट लगाते ,मुझे गोद में सुलाते ,
बाबूजी वो आपकी थपकियाँ कमाल थी !
वो जब भी डांट लगाते ,मुझे गोद में सुलाते ,
बाबूजी वो आपकी थपकियाँ कमाल थी !
बाबूजी के नेह की , बदलियाँ कमाल थी.
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