सोमवार, 9 मार्च 2020

मैं तो खेलूँगी होरी  पिया संग सखी री 
मैं तो पी लूंगी सारी पिया भंग सखी री 

मन कहाँ भागे पकड़ में न आये 
आस मिलन की रंगती  जाए 
जिया में हो रई हुड़दंग सखी री 

मैं तो खेलूँगी....
मैं तो पी लूँगी.... 

पीला  रंग डालूं के नीला रंग डालूँ 
मल मल गुलाल ओके रंगीला बना लूँ 
हैं तो होंगे कहीं के दबंग सखी री 

मैं तो खेलूँगी....
मैं तो पी लूँगी...

वो जब मारेंगे ओ  चम्पा सुन री 
भर पिचकारी हटा मोरी चुनरी 
सबे  गाँव रह जायेगो दंग सखी री 

मैं तो खेलूँगी....
मैं तो पी लूँगी..

तन मन रंग लिया प्रीत में वाकी 
ये संदेसवा पहुंचा दे रे पाखी 
कोई रंग चढ़े न इस रंग सखी री 

मैं तो खेलूँगी....
मैं तो पी लूँगी.




पूजन अधूरा  रह जाए गर चन्दन के  संग रोली न हो 
जीवन में रंग दिखेंगे नहीं यदि मन की आँख खोली न हो 
सूना सा जीवन हो जाए यदि जीवन में हमजोली न हो 
वो  होली कोई  होली नहीं ,जिसमे कवि की ठिठोली न हो