शनिवार, 29 सितंबर 2012

चली आई है तेरी याद हम पर हक जताने फिर;Ghazal

चली आई है तेरी याद हम पर हक जताने फिर,
खुदाया चल पड़ी मेरी अना भी घर बचाने  फिर।

मुसलसल काफिले दिन रात के उम्र  खा गए सारी ,
अजल के सामने है ज़िन्दगी अब मात खाने फिर। .

यही  फ़रियाद अपनी आखिरी अब उस खुदा से है,
पलट कर भेज दे माँ को मेरी मुझको सुलाने फिर।

गए थक जब सभी मोहरे गयीं थक  जब सभी चालें ,
मुखालिफ ने भि  बदला रंग मुझको आजमाने  फिर .

 चलो माना तुम्हारे दौर मे दिन रात पैसा है ,
मगर लौटा दो महकी रात सुलझे दिन पुराने फिर।

सफर में रुक गया तो देखना थक जायेगा जल्द ही,
बताना फ़र्ज़ था अपना कि  आगे आप जाने फिर .

अना :आत्मसम्मान ,
मुखालिफ:प्रतिद्वंदी
अजल :मौत












शुक्रवार, 21 सितंबर 2012

मैं कभी हारा नहीं ;Sher

और ये शेर भी देखें .....

मैं कभी हारा नहीं सच कह रहा हूँ दोस्तों,
हर दफे जीता नहीं हूँ ये भि पूरा सच मगर।

शेऱ 

बुधवार, 5 सितंबर 2012

अध्यापक ने पुछा चिंटू से;Nazm

अध्यापक ने पुछा चिंटू से
इक बात हमें बतलाओ
हाथी  घोड़े मे  क्या होता है
फर्क हमें समझाओ .

बोला चिंटू इठलाता
हाथों से सर को खुजलाता
बहुत आसान  सी बात है
बड़ा सरल है ये फरक
घोड़े की दम है एक ही
दुम  हाथी की दोनों तरफ।

राकेश "निर्मल"