रविवार, 21 जून 2015

ग़ज़ल

प्यार  का  बेज़ुबाँ पर असर देखिये ,
शाख पर खूबसूरत ये घर देखिये। 

इस के कहने पे हमने लगाया इधर,
अब ये दिल  कह रहा है उधर देखिये। 

खुद से मिलने में तुमको लगेगी उमर ,
आप करके कभी यह सफर देखिये। 

अपनी मिटटी से होकर जुदा आजकल,
फिर रहा है बशर दर बदर देखिये। 

उम्र छोटी सही कर्म लेकिन बड़े ,
राह  सच्ची भले मुख़्तसर देखिये। 

इससे बेहतर  गवाही ये माँ कैसे दे ,
हाथ बच्चे के सर  आँख तर देखिये। 

राम नानक मोहम्मद या जीसस कहो ,
राह सबकी रही पुरखतर देखिये। 

गम में रोयेगी दुन्या तेरे साथ  में ,
टाल  देगी खुशी मांग कर देखिये। 

तेज़ भागा फक़त एक  मंज़िल  मिली ,
इस जुनूँ का अभागा सफर देखिये। 

दूसरे की खबर तीसरे  से मिली ,
वो है "निर्मल " बड़ा बेखबर देखिये। 








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