बुधवार, 25 जनवरी 2023

साफ़ सुन्दर ज़ेहनो दिल भी स्वार्थ के कोहरे से पट गये 
खेत बांटे,बांटे ज़ेवर ,आख़िरश ये दिल भी बँट गये 
बच्चे थे तो जुड़े हुए थे ,बड़े हुए तो सबसे कट गए 
अपने अपने बच्चे लेकर, भाई सारे  दूर हट गये 
दिल को क्या दे दें,दिलासे के सिवा 
क्या फ़क़ीर के पास है,कासे के सिवा?
ऐसा नहीं है कि, दुर्भाव का बहाव नहीं है 
मगर यहाँ सद्भावों का भी, अभाव नहीं है 
जो बाँध बन कर, नफरत के धारों में खड़े हैं 
महज़ वो, कुछ एक शिलाओं का जमाव नहीं है