शिकवे गिले मिटा के सभी मुस्कुराइए;Ghazal
शिकवे गिले मिटा के सभी मुस्कुराइए ,
दोनों ने अपनी अपनी कही मुस्कुराइए।
कुछ आंकड़ों का खेल नहीं जिंदगी कोई,
छोड़ो कभी तो खाता बही मुस्कुराइए।
हर पल ये जिस्म गल रहा है बर्फ की तरह,
फिर न मिलेगा आज कभी मुस्कुराइए।
दुन्या है इक सराय मुसाफिर हैं हम सभी ,
जाना है सबको उसकी गली मुस्कुराइए।
सारा चमन विशाल गगन खिलखिला रहा,
लो मुस्कुरा रही है कली मुस्कुराइए।
हर एक बूँद मोती पसीने की दोस्तों ,
काली कमाई किसको फली मुस्कुराइए।
कैसा भी वक़्त हो वो गुज़रता ज़रूर है
सबकी करेंगे राम भली मुस्कुराइए
सब कुछ नज़र का खेल है दुनिया में इसलिए ,
कुछ भी गलत न कुछ भी सही मुस्कुराइए।
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