रविवार, 15 जुलाई 2018

कलियों की किलकारी भी है फ़ूलों का मुरझाना भी
पाना है सब कुछ यहाँ ,पर छोड़ सब कुछ जाना भी 

उम्र की धारा में बस इक सिम्त बहते जाना है 
मरते मरते जीना भी है ,जीते जी मर जाना भी 

चाहतें ख़ैरात में मिलती नहीं हैं दोस्तों
धूप में थकना है तुमको ,धूप में सुस्ताना भी 

लेना देना साथ चलता बाक़ी कुछ रहता नहीं 
साँस का आना है हर पल ,अगले पल फ़िर जाना भी 

ख्वाइशों की क़ीमतें देते चले जाना यहाँ 
माटी की क़ीमत में इक दिन फ़िर यहॉँ बिक जाना भी 

आपको दुनियाँ में  गर रहना है 'निर्मल' तो सुनो 
झीने रिश्ते सिलना भी है ,रिश्ते कुछ झुठलाना  भी 

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