गीत
हम पे इतनी कृपा करना भगवन
देश के काम आये ये तन मन
विश्व के हम गुरु थे ,रहेंगे
देश माटी बने जग का चंदन।
ख़ुद को बांधे न रक्खे किलों में
आओ थोड़ा सा रहले दिलों में
सम्प्रदायों के फेंके न पासे
ख़ौफ़ खायें ज़रा तो ख़ुदा से
स्वर कान्हा की बंसी के गूंजे
हो सवेरा अज़ानों से रौशन।
हम पे इतनी---------------
देश के काम --------------
आचरण से सिखाएँ सभी को
बन्दगी से हरायें बदी को
मन में पाले चलो अब ये आशा
दूर सदियों का होगा कुहासा
झूठ की आओ सत्ता हिला दें।
सच के हक़ में चलों करके अनशन।
हम पे इतनी---------------
देश के काम -------------
अपनी थाली से आओ निकाले
दूसरों के लिए भी निवाले
फ़ूल बनकर सँवारे चमन को
कर लें मुट्ठी मे आओ गगन को
अपने किरदार में वो चमक हो
अपने चेहरें बने जैसे दर्पण।
हम पे इतनी---------------
देश के काम --------------
वो सवेरा दिखा दो हमें अब
मेरे भारतकी चर्चा करें सब
एक दिन ये भी होकर रहेगा
दूध नदियों में फ़िर से बहेगा
ज्ञान का सूर्य घर में उगायें
कर दें आओ तिमिर का विसर्जन।
हम पे इतनी---------------
देश के काम --------------
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
post your comments