२१२ २१२ २१२ २१२
अब न जाने बशर को ये क्या हो गया
बात क्या है कि सबको नशा हो गया
हाथ अपने बनाते रहे आशियाँ ,
वो तो बातें बना कर खुदा हो गया।
ना जमीं थी न जोरू न ज़र बीच में
यार मुझसे मेरा क्यूँ जुदा हो गया।
अब मुझे याद अब्बा की आती बहुत ,
जब मेरा खून मुझसे खफ़ा हो गया।
कुछ खिलौने नए आज मेले में हैं
जो नया था कभी वो फ़ना हो गया
अब न जाने बशर को ये क्या हो गया
बात क्या है कि सबको नशा हो गया
हाथ अपने बनाते रहे आशियाँ ,
वो तो बातें बना कर खुदा हो गया।
ना जमीं थी न जोरू न ज़र बीच में
यार मुझसे मेरा क्यूँ जुदा हो गया।
अब मुझे याद अब्बा की आती बहुत ,
जब मेरा खून मुझसे खफ़ा हो गया।
कुछ खिलौने नए आज मेले में हैं
जो नया था कभी वो फ़ना हो गया