रविवार, 22 जून 2025

  तुम्हारे प्रेम का चन्दन,हमारे मन को महकाये, 
  तुम्हारी देह का मधुबन,हमारे तन को भरमाये। 

तुम्हारे मन की वीणा में, समर्पण की मधुर धुन है,
तुम्हारे शब्दों की झंकार में, रागों  सी रुनझुन है,
तुम्हारी संदली सांसें,हमारे दिल को बहकायें। .. 


तुम्हारा मुस्कुरा देना,   हमें  यूं देख के गोरी ,
अजी फिर देख के न देखने की, कोशिशें पूरी ,
जुगलबंदी ये पलकों की तुम्हारे राज़ कह जाये। 

तुम्हारे केश का गजरा,तुम्हारे कान  की बाली,
की जैसे होठ पर तेरे हो , अलख भोर की लाली 
हमारी चाह है ये  जग हमारी प्रेम धुन गाये।