नदी बह गयी सारी बस पाट रह गए,
नजाने जोहते हम किसकी बाट रह गए।
संत सब रंगीन हुए अब राज रंग मे,
कहाँ अब चित्रकूट के वे घाट रह गए.
...
चला गया सोने वो खा पी के पलंग पे,
हमतो उसूलों की बिनते खाट रह गए।
खरीदने चमकदमक सब शहर चल दिये,
कि धूप बेचते गाँव मे हाट रह गए.See More
नजाने जोहते हम किसकी बाट रह गए।
संत सब रंगीन हुए अब राज रंग मे,
कहाँ अब चित्रकूट के वे घाट रह गए.
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चला गया सोने वो खा पी के पलंग पे,
हमतो उसूलों की बिनते खाट रह गए।
खरीदने चमकदमक सब शहर चल दिये,
कि धूप बेचते गाँव मे हाट रह गए.See More