शुक्रवार, 24 फ़रवरी 2012

नदी बह गयी सारी बस पाट रह गए:Ghazal Numa Nazm

नदी बह गयी सारी बस पाट रह गए,
नजाने जोहते हम  किसकी बाट रह गए।

संत सब रंगीन हुए अब राज रंग मे,
कहाँ अब चित्रकूट के वे  घाट रह गए.
...

चला गया सोने वो खा पी के पलंग पे,
हमतो उसूलों की बिनते खाट रह गए।

खरीदने चमकदमक सब शहर चल दिये,
कि धूप बेचते गाँव मे हाट रह गए.
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