चली आई है तेरी याद हम पर हक जताने फिर,
खुदाया चल पड़ी मेरी अना भी घर बचाने फिर।
मुसलसल काफिले दिन रात के उम्र खा गए सारी ,
अजल के सामने है ज़िन्दगी अब मात खाने फिर। .
यही फ़रियाद अपनी आखिरी अब उस खुदा से है,
पलट कर भेज दे माँ को मेरी मुझको सुलाने फिर।
गए थक जब सभी मोहरे गयीं थक जब सभी चालें ,
मुखालिफ ने भि बदला रंग मुझको आजमाने फिर .
चलो माना तुम्हारे दौर मे दिन रात पैसा है ,
मगर लौटा दो महकी रात सुलझे दिन पुराने फिर।
सफर में रुक गया तो देखना थक जायेगा जल्द ही,
बताना फ़र्ज़ था अपना कि आगे आप जाने फिर .
अना :आत्मसम्मान ,
मुखालिफ:प्रतिद्वंदी
अजल :मौत
खुदाया चल पड़ी मेरी अना भी घर बचाने फिर।
मुसलसल काफिले दिन रात के उम्र खा गए सारी ,
अजल के सामने है ज़िन्दगी अब मात खाने फिर। .
यही फ़रियाद अपनी आखिरी अब उस खुदा से है,
पलट कर भेज दे माँ को मेरी मुझको सुलाने फिर।
गए थक जब सभी मोहरे गयीं थक जब सभी चालें ,
मुखालिफ ने भि बदला रंग मुझको आजमाने फिर .
चलो माना तुम्हारे दौर मे दिन रात पैसा है ,
मगर लौटा दो महकी रात सुलझे दिन पुराने फिर।
सफर में रुक गया तो देखना थक जायेगा जल्द ही,
बताना फ़र्ज़ था अपना कि आगे आप जाने फिर .
अना :आत्मसम्मान ,
मुखालिफ:प्रतिद्वंदी
अजल :मौत