सोमवार, 14 अक्तूबर 2019

नफ़रत   का  दरिया बहने दे तू  सुख़नवरी कर
सच्ची कलम से  संस्कारों  की फसल खड़ी कर

दिल की ज़मीन पर एहसासों के गंगा जल से 
लोगों के छोटे छोटे दुख लिख कलम बड़ी कर 

मंगलवार, 8 अक्तूबर 2019

तुम्हारे इल्म ओ  फ़न को प्यार हासिल है बहुत रब का
बड़ी आसानी से कह देते हो तुम हाल ए दिल सबका 

ग़लत फ़हमी  में मत रहना बचा लेगा तुम्हे इक दिन 
भँवर  का और साहिल का अजी अब एक है तबक़ा 

अदब का वो मुहाफ़िज़ था अलम्बरदार था सच का 
मियाँ वो नेक शायर मुफ़लिसी  में मर गया कबका