सोमवार, 27 दिसंबर 2021

बेटों का तो उनकी शादी तक ही खुशनुमा साथ था 
बेटी का तो ज़िंदगी भर काँधे  पे  हाथ था 
विवश होकर स्वाभिमान का चोला मै धर  गया 
अंतिम वक़्त काटने बेटी के घर गया 
उस पर भी मेरे पुत्र मोह का आलम  तो देखिए 
बेटों के नाम सारी वसीयत मै कर गया 



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