रविवार, 2 अक्तूबर 2022

अदबी शायर हमें सुनने को मिलते हैं 
 क़ीमती मोती भी चुनने को मिलते हैं 
 ज़िन्दगी यूँ ही बनती नहीं रेशमी 
 सारे रेशम यहाँ बुनने को मिलते हैं 


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