मंगलवार, 27 जून 2023

अब हमारी दस्तरस से दूर हो गए गाँव 
शहर में तो लोग  चलते नित नवेले दांव 
इस तरह भटकन बढ़ी है ज़िन्दगी में आज 
रखते कहीं हैं हम मगर पड़ते कहीं हैं पाँव 

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