सोमवार, 14 अक्तूबर 2024

बस इसलिए ही आया, फ़लक़ तक मै ख़ाक से 
मिलते ही लगते मुझसे गले, सब तपाक से 

क्यूँ कुछ भी तय नहीं है यहाँ कायनात में 
क्या बन गयी ख़ुदाई,  मियाँ इत्तिफ़ाक़ से 

तब्दील करता मिटटी, खिलौनों की शक्ल में 
 दिन रात घूमने का हुनर, पूछो चाक से 


 

गुरुवार, 5 अक्तूबर 2023

रस्तों के साथ में ,न मंज़िल के साथ में 
धारों के साथ में, न साहिल के साथ में 
हमको है मंज़ूर, बस दिल की रहबरी 
हम तो खड़े रहते हैं, दिल के साथ में 


बुधवार, 4 अक्तूबर 2023

बुज़दिल के साथ में न क़ातिल के साथ में 
हम खड़ें हैं अशफ़ाक़ ओ बिस्मिल के साथ में 
राह ए वतन पर  लुटा देंगे जान भी 
जीना पड़े चाहे मुश्क़िल  के साथ में। 


ज़िन्दगी तो बस चिता तक  साथ देगी 
बाद इसके मौत अपना हाथ देगी 
जिस तरह से हमने काटा है सफ़र ये 
मौत भी इस ज़ीस्त प खुल के दाद देगी 

मंगलवार, 27 जून 2023

ज़िंदा हो तुम तब तक जब तक मरे नहीं हो ,
मरे नहीं हो तब तक जब तक डरे नहीं हो 
रिक्त कलश से जीवन में नहीं मोक्ष तब तक 
मातृभूमि के प्रेम से जब तक भरे नहीं हो 
बंध गए हैं तुम भी देखो माया की इस पाश में 
उलझा लिया है जीवन अगर मगर और काश में 
रेंग भी नहीं पा रहे हो ठीक से तुम भूमि पर 
भेजा था उसने तुम्हे उड़ने को आकाश में। 
अब हमारी दस्तरस से दूर हो गए गाँव 
शहर में तो लोग  चलते नित नवेले दांव 
इस तरह भटकन बढ़ी है ज़िन्दगी में आज 
रखते कहीं हैं हम मगर पड़ते कहीं हैं पाँव