शनिवार, 28 जनवरी 2012

अपने जुनूँ को खुद अपने लहू में मिलने दीजिये:Ghazal Numa Nazm

अपने जुनूँ को खुद अपने लहू में मिलने दीजिये,
 ख्वाइशों को डर के पिंजरों से निकलने दीजिये.

कुछ रिश्ते तो रेत हैं मुट्ठी  से सरक जायेंगे,
सच्चे दोस्तों को ना कभी दिल से फिसलने दीजिये.

कितने भि गहरे क्यों न हो ज़ख्म दाग भी न पाओगे,
सब्र रखो मन में बस थोडा वक़्त गुज़रने दीजिये.

तेरे क़दमों तले ये फ़लक आ जायेगा इक दिन,
उड़ निकलने के ख्वाब खुली आँखों में पलने दीजिये.

किस्मत की ठंडी आंच पर रोटी नहीं सिकती कभी,
बाजुओं की तपिश पे हर उम्मीद ढलने दीजिये.

बुधवार, 25 जनवरी 2012

हर किसी के दिल पे अपनी इतनी हिस्सेदारी हो,:Ghazal

हर किसी के दिल पे अपनी  इतनी हिस्सेदारी हो,
जब   कभी रो दें  हँसाना उनकी जिम्मेदारी हो.

ये नसीहत याद रखना काम आएगी बोहत ,
 फासले थोड़े तो रखना चाहे रिश्तेदारी हो।

खुद तुम्हारे आचरण से बच्चे चलना सीखते ,
डगमगाएंगे कदम फिर लाख पहरेदारी हो।








निगाहें फेर ना अब आप की आँखों में बसना है:Ghazal

निगाहें फेर ना अब आप की आँखों में बसना है,
ख़ुशी में झूमना है आपके आंसूं भी   चखना है.

घने पेड़ों के नीचे भी न मुझ को चैन आएगा,
तेरे दिल तक पहुंचना है तेरे कारण ही  थकना है.

रिवाज़ों के कड़े पहरे में हम जो कह  न पाये थे,
किया है तय कि तेरे  सामने वो बात रखना है.

बिना सोचे बिना समझे मैं  सौदे काटता हूँ अब,
बिके चाहे तेरी खातिर यहाँ  जो कुछ भी बिकना है.


दवा "निर्मल" उसे पहले मिले गर जख्म ताज़ा है,
सधे हाथों से सहलाओ मगर तब भी तो दुखना है.


शनिवार, 14 जनवरी 2012

जीवन:Nazm


दुःख हो अगर हंस ले तू,
दूर हो सहर हंस ले तू,
श्रृष्टि  के इस चाक पर,
माटी का है ढेर तू.
चाक चलता रहे सदा,
खिलौना  बनता  रहे सदा.
नैनों के नीर से
माटी न जाए गल..

नदिया बहे कल कल
तू भी हँसता गाता चल...


संकल्प न हो जाये अपंग,
आशाएं न हो पायें भंग.
ठिठक न जइयो चौंक के,
दुःख दर्द के छौंक से,
इस जीवन नदी विराट पर,
सुख दुःख की फिसलन घाट पर,
देख न जइयो फिसल..

नदिया बहे कल कल..
तू भी हँसता गाता चल..

बीती बात का साथ हीं क्या
नए साथ की बात ही क्या.....
जीवन के नित नए खेल तमाशे,
तू निडर बन फ़ेंक पासे,
कलुषित विचार त्याग के,
पुरुषार्थ की बांहे थाम के,
जीवन कर ले सफल,

नदिया बहे कल कल,
तू भी हँसता गाता चल...



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शनिवार, 7 जनवरी 2012

सीधे तौर पे किसके मन भाई है दुनिया:Ghazal Numa Nazm

सीधे तौर पे  किसके मन भाई है दुनिया,
चला सर के बल तो  समझ आई है दुनिया.

 है मुखालफत से तो कहीं आसान  मुहब्बत,
 आज तक ये समझ नहीं पाई है दुनिया.

कागज़ भर लिया घर मे सभी चीज़ बदल के,
 जाने  ये किस दुनिया से आई है दुनिया.

कुछ घंटों मे कैसे   ये समझ मे आएगी,
फिल्मों की तरह से तूने दिखाई है दुनिया.

शिकवे गिले मिटा के सभी मुस्कुराइए;Ghazal


शिकवे  गिले मिटा के सभी मुस्कुराइए ,
दोनों ने अपनी अपनी कही मुस्कुराइए।

कुछ आंकड़ों का खेल  नहीं जिंदगी कोई,
छोड़ो कभी तो खाता  बही मुस्कुराइए। 

हर  पल ये जिस्म गल  रहा है बर्फ की  तरह,
फिर न मिलेगा आज कभी मुस्कुराइए। 

दुन्या है इक सराय मुसाफिर हैं हम सभी ,
जाना है सबको उसकी गली मुस्कुराइए। 

सारा चमन विशाल गगन खिलखिला रहा,
 लो मुस्कुरा रही है कली  मुस्कुराइए।

हर एक बूँद मोती पसीने की दोस्तों ,
काली कमाई किसको फली मुस्कुराइए। 

कैसा भी वक़्त हो वो गुज़रता ज़रूर है 
सबकी करेंगे राम भली मुस्कुराइए 

सब कुछ नज़र का खेल है  दुनिया में इसलिए ,
कुछ भी गलत न कुछ भी सही मुस्कुराइए।