अपने जुनूँ को खुद अपने लहू में मिलने दीजिये,
ख्वाइशों को डर के पिंजरों से निकलने दीजिये.
कुछ रिश्ते तो रेत हैं मुट्ठी से सरक जायेंगे,
सच्चे दोस्तों को ना कभी दिल से फिसलने दीजिये.
कितने भि गहरे क्यों न हो ज़ख्म दाग भी न पाओगे,
सब्र रखो मन में बस थोडा वक़्त गुज़रने दीजिये.
तेरे क़दमों तले ये फ़लक आ जायेगा इक दिन,
उड़ निकलने के ख्वाब खुली आँखों में पलने दीजिये.
किस्मत की ठंडी आंच पर रोटी नहीं सिकती कभी,
बाजुओं की तपिश पे हर उम्मीद ढलने दीजिये.
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