दुःख हो अगर हंस ले तू,
दूर हो सहर हंस ले तू,
श्रृष्टि के इस चाक पर,
माटी का है ढेर तू.
चाक चलता रहे सदा,
खिलौना बनता रहे सदा.
नैनों के नीर से माटी न जाए गल..
नदिया बहे कल कल
तू भी हँसता गाता चल...
संकल्प न हो जाये अपंग,
आशाएं न हो पायें भंग.
ठिठक न जइयो चौंक के,
दुःख दर्द के छौंक से,
इस जीवन नदी विराट पर,
सुख दुःख की फिसलन घाट पर,
देख न जइयो फिसल..
नदिया बहे कल कल..
तू भी हँसता गाता चल..
बीती बात का साथ हीं क्या
नए साथ की बात ही क्या.....
जीवन के नित नए खेल तमाशे,
तू निडर बन फ़ेंक पासे,
कलुषित विचार त्याग के,
पुरुषार्थ की बांहे थाम के,
जीवन कर ले सफल,
नदिया बहे कल कल,
तू भी हँसता गाता चल...
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