छोड़ कर हमको वो गया जबसे ,
बेकफ़न लाश ढ़ो रहे तबसे !
उम्र सारी गुज़ार दी घर में ,
वक़्ते रुखसत ही वो मिला सबसे !
गोद में माँ की सर छिपाया तो ,
दिल को ऐसा लगा मिला रब से !
क्या ख़ुशी मैं नहीं तेरी ज़द में ,
तूने देखा नहीं मुझे कब से !
राज़ सब जानता है वो उसके,
चाँद की बात क्या करें शब से !
कल मिला था वो बाअदब लेकिन ,
वक़्त फिर जब मिला नए ढब से !
तुमसे अब क्या कहें सुने "निर्मल "
सी लिए होंठ आज से अब से !
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