सिर्फ रोया कभी हँसा ही नहीं
मरने से पहले वो जिया ही नहीं
मरने से पहले वो जिया ही नहीं
टाल देता था जो भी चाहे वो
मौत का वक़्त तो टला ही नहीं
तेरी खातिर जियेगा क्या कोई
तू किसी के लिए मरा ही नहीं
अपना घर बस बचा हो, बाक़ी फ़िर
आजकल ख़ून खौलता ही नहीं
जैसे सब आये तू भी आ जाता
सब गिरे थे ,तू तो उठा ही नहीं
कितने नादाँ हैं ,जो ये कहते हैं
अपने जैसा कोई मिला ही नहीं
बोलते हैं वक़ील अब निर्मल
अब तो कानून बोलता ही नहीं