सब सयाने हो गए ,हम तो दीवाने रह गए
हो गयी दुनिया नयी ,बस हम पुराने रह गए
जी लिए किरदार सारे भागते और हाँफते
ज़िन्दगी बस गीत तेरे गुनगुनाने रह गए
मेरी महफ़िल छोड़कर तू गैर की महफ़िल में था
अब तो बस गैरों के आगे ग़म उठाने रह गए
गाँव के चौपाल में बिछती थी खाटें रात में
अब कहाँ वो किस्सा गोई ,वो फ़साने रह गए
पूछा मैंने तो चुनावी तैयारी पर बोला वो
तेल छिड़का है अभी ,बस घर जलाने रह गए
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