फ़िर ये बादल आँखों पर छा ही गये
आप हमको याद फ़िर आ ही गये
शाख तो फ़िर से हरी हो जाती है
पत्ते जो टूटे तो मुरझा ही गए
कनखियों से वो हमें देखा किये
हमने देखा तो वो शरमा ही गये
यक ब यक हम से लिपट बैठे थे वो
डर से ही आये मगर आ ही गए
बेखुदी में दूर थे खुद से बहुत
होश में फ़िर ख़ुद से टकरा ही गये
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