मंगलवार, 24 दिसंबर 2019

इस मकीं को उस मकां में अब गवारा कौन है 
लोगों को अपने सिवा दुनिया में प्यारा कौन है 

आपके आने से पहले आप आये थे यहाँ  
जेहन ने पूछा था दिल से ये तुम्हारा कौन है 

द्वार पर फ़िर सुन के आहट मन मचल के बोल उठा 
इक दफ़ा तो थी हवा लेकिन दुबारा कौन है 

जिस तरह से सोच कर वो भेजता हमको यहाँ  
उस तरह से ज़िन्दगी आखिर गुज़ारा कौन है 

सारी दुनिया छोड़ दे चाहे तुम्हे मझधार में 
उस ख़ुदा के रहते मत कहना हमारा कौन है 

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