मंगलवार, 24 दिसंबर 2019

ख़ुदा के बन्दों से गुफ़्तगू ,हमने तो ग़ज़ल की ज़ुबाँ  में कर ली 
सुनानी थी उसकी तान सबको, सो अपने अधरों पे मुरली धर ली 

जुदा थे हम तो ज़माने भर से ,कि  तौर उनके न आये हमको 
ख़ुदा ने तेवर दिए थे जैसे ,उसी के दम  पे  ये झोली भर ली 

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