गुरुवार, 23 अगस्त 2012

रोचक हकीकत ;Thought

दोस्तों एक  तल्ख़ मगर रोचक हकीकत पेश कर रहा हूँ।..मैं नहीं जानता की आप इससे  कितना सहमत होंगे मगर इस बात का मैं एहसान मंद हूँ की इस पर गौर करने के बाद मुझे हर दिन पहले से  बहुत, बहुत सचमुच बहुत ज्यादा स्वादिष्ट लगने लगा है और मैं हर दिन और उसके हर  पल को बड़े चाव और इत्मीनान से खाना चाहता हूँ।

"हम सब ये बात जानते हैं की 100 बरस की ज़िन्दगी  मे  कुल 36500 दिन हम अधिक से अधिक खर्च कर सकते हैं .उनमे  से लगभग मेरे हम उम्र , 14 से 15 हज़ार  दिन  खर्च कर चुके हैं।बाकी बचे 20 या 22 हज़ार दिन अधिक से अधिक  शेष हैं।  20 हज़ार दिन मुझे तो बहुत   कम लग रहें हैं दोस्तों । मैं सोचता हूँ की  बस इतने  से दिन   ही बचे हैं मेरे खाते में .
20 हज़ार दिन के बाद, मेरे बिना भी दिन होगा ..मेरे बिना भी रात होगी ,फूल खिलेंगे, बरसात होगी।20 हज़ार दिन मे से 15000 दिन ही मैं इस जगत मे क्रियाशील  रहूँगा यानी जागूँगा।  इनमे से मैं  समझता हूँ की 75 से 100  वर्ष की आयु मे  यानी लगभग 9500 दिन तो मैं ज्यादातर  निष्क्रिय ही रहूँगा।तो बचे  5500 दिन ही हैं जिसमे  मुझे वास्तव मे  जीना है।मैं अब एक पल भी फ़िज़ूल मे  नहीं  गंवाना  चाहता हूँ।मैं हर पल को रूपये की तरह इन्वेस्ट करना चाहता हूँ ताकि 5500 दिन के बाद भी  ये ज़माना मुझे मेरे नाम और व्यक्तित्व को ब्याज के तौर पर सालों साल याद रखें .इस कायनात  मे मैं   रहूँ ना  रहूँ  पर लोगों के दिलों जेहन मे हज़ारों साल जिंदा रहने   से मुझे कोई नहीं रोक सकता "

  राकेश "निर्मल "

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