मंगलवार, 14 अगस्त 2012

देश प्रेम में नज़्म

वर्चस्व की भूख है खुराक मे तुम्हारा  स्वाभिमान चाहिए ,
पड़ोस मे चीन कह रहा  घुटनों मे हिन्दुस्तान चाहिए।

विषाक्त मंसूबे और ज़हरीले घटक उत्पादन का हिस्सा है ,
फिर भी क्यों  हम सबको चीन मे बना सामान चाहिए।


जिस तरफ भी नज़र जाए है भीड़ राहे भ्रस्टाचार  मे,
मुल्क को हर हाल मेये नापाक राह अब सुनसान चाहिए।

अरे यहाँ पर सब कुछ ऐसे हि चलेगा  कुछ नहीं बदलेगा,
इस तरह की मुर्दनी को साहब ज्वलनशील लुभान चाहिए।

फफक फफक कर कह  रही है माँ बस इतनी आरज़ू  है मेरी,
मुझे मन कर्म वचन से निर्मल सिखहिन्दूमुसलमान चाहिए।



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