शराब पानी हि होती जो गम न मिले होते,
मयकदे न कभी खुलते जो दिल न जले होते.
बस हम ढूंढते रहते इक हमदर्द उम्र भर,
अगर जख्म हमने अपने खुद न सिले होते.
क़ि दूर से हि सेंकना जो सीख लेते हम,
तुम्हारि तरह मेरे भी न हाथ जले होते.
कुछ परिवार के आगे तो पीढियां बेबस,
सर न झुके होते अगर लब न सिले होते.
जिक्र हमारा भिन कोई करता निर्मल,
नई लकीरें खींचके जो हम न चले होते.
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