शनिवार, 14 जनवरी 2017

जला कर हसरतें  दिल की नज़ारा  कर लिया हमने
क़रार-ए-दिल मिले तुझको ख़सारा कर लिया हमने 

सुकूँ मिलता है जो झुक कर ज़रा  सा झाँक  लेते हैं 
तेरे हर नाज़ को दिल का सितारा कर लिया  हमने 

कि  जलवे  उसके बैसाखी हुए  ऐ   ज़िन्दगी तब तो 
तेरी  राहों में  फ़िर  चलना  गँवारा कर  लिया हमने 

भुला न  पाएंगे  तुझको  मगर फ़िर  भी  ना  रोयेंगे 
तेरे ग़म का  नहीं ख़ुद का  सहारा कर लिया हमने 

शिकस्त-ए -जाँ  भले दे दे लड़ेंगे  ज़िन्दगी  तुझसे 
तेरे हर ज़हर का  'निर्मल' उतारा कर लिया  हमने 



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

post your comments