शनिवार, 21 जनवरी 2017

                 मुक्तक 

सियासत  में  लोग हमको बाँटने   में लग गए 
हम  अपने अपने लोग  छाँटने  में   लग गए 
जाल -ए -नफ़रत इस तरक़ीब से फेंका सय्याद ने 
जाल छोड़ हम एक दुसरे को काटने में लग गए 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

post your comments