आसमाँ लाख किये जा तू सियासत अपनी
फर्श पर आज भी है सोने की आदत अपनी
मेरी सूरत से कहीं अच्छी है सीरत मेरी
आजकल ठीक नहीं चल रही हालात अपनी
देर तक मुल्क़ ये महफूज़ न रह पायेगा
सिर्फ सेना ही अगर देगी शहादत अपनी
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